Wednesday 10 July 2013



अफस्पा हटाना संभव नहीं तो कुछ संशोधन होने चाहिए
09 Jul  श्रीनगर : आ‌र्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (अफस्पा) पर केंद्र सरकार के रुख को देखते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सुझाव दिया कि अगर मौजूदा हालात में इसे हटाना संभव नहीं है तो इसमें कुछ संशोधन और बदलाव जरूर किए जाने चाहिए, ताकि सुरक्षाबल इस कानून का अनुचित लाभ न उठा सकें और जनता को भी कुछ राहत मिले।
उमर ने कहा कि यह कानून लगभग 23 साल पहले जम्मू-कश्मीर में लागू किया गया था। तब और अब के हालात में बहुत बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि राज्य में जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) भी बहुत सख्त था, लेकिन हमने इसमें कई बदलाव और संशोधन लाए हैं। इसी तरह केंद्र को भी चाहिए कि वह अफस्पा में बदलाव लाए। उन्होंने कहा कि मैं पहला व्यक्ति हूं, जिसने स्वीकार किया कि हैदरपोरा में सेना के काफिले पर हमला और उसके बाद मरकुंडल में दो युवकों की मौत ने अफस्पा पर दो तरह की राय को मजबूत किया है। अफस्पा को बनाए रखने वाले हैदरपोरा की घटना का तर्क देंगे और इसे हटाने की मांग करने वाले मरकुंडल में दो युवकों की मौत का हवाला। हमें दोनों पक्षों को समझते हुए बीच का रास्ता निकालना चाहिए, जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मरकुंडल की घटना हो या वर्ष 2010 की मच्छल फर्जी मुठभेड़, इसी कानून के तहत मिली छूट का नतीजा है। उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में इसकी जरूरत है, उन इलाकों में इसे रहने दिया जाए और जहां जरूरत नहीं, वहां से हटाया जाए। अगर ऐसा संभव नहीं तो इसके कुछ प्रावधानों में संशोधन किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सेना को अपने आतंरोधी अभियानों के लिए इस कानून का सहारा चाहिए। हम इसे बनाए रखने के पक्षधर हैं, लेकिन कुछ बदलावों के साथ। उन्होंने वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों में अफस्पा के एक प्रमुख मुद्दे के तौर पर उभरने की संभावना जताते हुए कहा कि मैं चाहता हूं केंद्र इस पर जल्द से जल्द कोई सकारात्मक फैसला ले।

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