Wednesday 5 June 2013



शब्बीर का मीरवाइज से किनारा
Mon, 03 Jun 2013 श्रीनगर, जागरण ब्यूरो। ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के मीरवाइज मौलवी उमर फारूक के गुट में फिर अंतर्कलह तेज हो गई है। शब्बीर शाह ने मीरवाइज गुट से किनारे का संकेत देते हुए अपनी पाक इकाई के प्रधान महमूद सागर को हुर्रियत से वापस बुला लिया है। सागर ने हुर्रियत कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया है। जम्मू-कश्मीर पीपुल्स लीग के अध्यक्ष मुख्तार वाजा को भी मीरवाइज के साथ नजदीकियों के चलते अपने सहयोगियों से बगावत झेलनी पड़ रही है।  हालांकि, अफजल गुरु को फांसी के बाद हुर्रियत खेमा एक मंच पर जमा होते नजर आ रहा था। ऐसा लग रहा था कि सभी अपनी कड़वाहट भुलाकर फिर से हुर्रियत को मजबूत बनाने में जुट जाएंगे।

हुर्रियत के प्रमुख घटकों में शामिल जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रंट के चेयरमैन शब्बीर अहमद शाह ने हालांकि पहले ही मीरवाइज की नीतियों से नाराज होकर दूरी बना रखी थी। शब्बीर ने बताया कि यह फैसला मैंने घर बैठकर नहीं लिया है। हमने पाकिस्तान, अमेरिका, सऊदी में अपनी पार्टी की इकाइयों के प्रतिनिधियों से टेलीकांफ्रेंस में विचार करने के बाद ही लिया है। मीरवाइज जिस तरह से व्यवहार कर रहे हैं, वह हुर्रियत के आईने से मेल नहीं खाता।

इस दौरान वाजा को मीरवाइज की उदारवादी नीतियों और आजादी के एजेंडे से पीछे हटने पर अपनी ही पार्टी में बगावत झेलनी पड़ रही है। उन्होंने स्थिति पर काबू पाने के लिए अपने तीन सहयोगियों को पार्टी से हटा दिया। नेशनल फ्रंट के चेयरमैन मुहम्मद नईम खान ने भी मीरवाइज की नीतियों को कश्मीर मुद्दे पर समझौता करार देते हुए कहा कि हम लोगों ने किसी रियायत या कुर्सी के लिए कश्मीर की आजादी की मांग नहीं उठाई थी।  मीरवाइज ने कहा कि हुर्रियत कश्मीर की आजादी की मांग करने वाले विभिन्न दलों का साझा मंच है। इसमें हर दल की अपनी राय हो सकती है, लेकिन हमारी मंजिल एक है। कुछ लोग अगर हुर्रियत से अलग होना चाहते हैं तो हो सकते हैं। इससे कश्मीर की आजादी के लिए भारत के खिलाफ हमारे संघर्ष पर असर नहीं होगा।

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