Tuesday 2 April 2013


घाटी को सुलगाने के लिए सीमा पार से बढ़ी आंच

नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]। सीमा पर दो भारतीय सैनिकों की नृशंस हत्या से लेकर श्रीनगर में सीआरपीएफ कैंप पर हमले जैसी घटनाओं के पीछे अब सीमापार से जम्मू-कश्मीर को सुलगाने की साजिश साफ होने लगी है। खुफिया एजेंसियों के हाथ लगी ताजा जानकारियों के मुताबिक सोची-समझी रणनीति के तहत सूबे में आतंकियों की नई खेप भेजने के लिए पाक अधिकृत कश्मीर में बीते दिनों तीन नए संचार केंद्र बनाए गए हैं। वहीं खास तौर पर श्रीनगर को निशाना बनाने की साजिशों का भी पता चला है। घाटी में सेना की सभी यूनिटों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।

चुनावी साल में पाक की ओर से बीते तीन महीने में घुसपैठ और संघर्ष विराम समझौते के उल्लंघन की वारदातों में इजाफा भी घाटी में आतंकी आग भड़काने के षड्यंत्र की ओर इशारा कर रहे हैं। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, आम तौर पर जनवरी-फरवरी के दौरान घुसपैठ की कोशिशें कम होती हैं। लेकिन बीते तीन महीनों में अब तक घुसपैठ की पांच बड़े प्रयास हो चुके हैं। जबकि 2011 में इस दौरान जहां दो प्रयास हुए थे, वहीं 2012 में एक भी कोशिश जनवरी-फरवरी में नहीं हुई थी।

बीते तीन महीनों में आतंकी वारदातों में आई तेजी भी सीमापार से कश्मीर को सुलगाने की कोशिशों के ही सबूत देती हैं। सैन्य आंकड़ों के अनुसार जनवरी से मार्च के बीच कश्मीर घाटी में 18 आतंकी घटनाएं हो चुकी हैं जिनमें 12 सुरक्षा कर्मी, 10 नागरिक मारे गए हैं।

सैन्य सूत्रों के मुताबिक पाक अधिकृत कश्मीर में प्राय: मई के महीने में सक्रिय होने वाले आतंकी संचार केंद्र अभी से हरकत में आ गए हैं। वहीं आतंकियों को सीमापार भेजने और आतंकी हमलों को अंजाम देने में मदद के लिए तीन नए संचार केंद्र भी आइएसआइ की मदद से बनाए गए हैं। संचार संदेशों से पकड़ी गई जानकारी के मुताबिक, आतंकियों की साजिश खास तौर पर जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर को निशाना बनाने की है। सैन्य आंकड़ों के मुताबिक सीमा पार मौजूद 42 आतंकी शिविरों में जहां आतंकियों की नई खेप तैयार है। वहीं कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकवादियों की संख्या 360 है जिसमें सबसे ज्यादा 160 लश्कर-ए-तैयबा के हैं। जबकि, हिजबुल मुजाहिदीन के 120 और जैश-ए-मोहम्मद के 60 आतंकी बताए जाते हैं। सीमापार चल रहे 42 आतंकी प्रशिक्षण केंद्रों से हो रही आतंकी घुसपैठ से निपटने में भारतीय सुरक्षा बलों को पाक से लगी सरहद ही नहीं, नेपाल सीमा पर भी ध्यान रखना होता है। भारत और नेपाल के बीच खुली सीमा का फायदा उठाकर आने वाले आतंकियों की संख्या भी बढ़ने के संकेत हैं
Source: http://www.jammukashmirnow.com/

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