राष्ट्रीय दिवस नहीं हो सकता 13 जुलाई : चमनलाल
13 Jul 2013 जम्मू : नेशनल कांफ्रेंस
सरकार द्वारा 13 जुलाई को 'शहीदी दिवस' के रूप में मनाने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते
हुए पूर्व केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री प्रो. चमन लाल गुप्ता ने कहा कि यह दिन 'राष्ट्रीय दिवस' कभी नहीं हो
सकता, क्योंकि यह साम्प्रदायिक रंग का नतीजा था।
प्रो. गुप्ता ने कहा कि अंग्रेजों के एजेंट महाराजा हरि सिंह को सबक सिखाना चाहते थे,
क्योंकि वर्ष 1930 में लंदन में
हुई राउंड टेबल कांफ्रेंस में महाराज ने भारत को स्वतंत्र करने की मांग का समर्थन किया
था। प्रो. गुप्ता ने कहा कि जुलाई 1931 में पेशावर
के निवासी अब्दुल कादिर अंग्रेजों का एजेंट बनकर आया था और उसने महाराजा के खिलाफ दुष्प्रचार
करना शुरू किया। इसी ने मुस्लिम कश्मीरियों की साम्प्रदायिक भावनाओं को भड़काया,
जिसके फलस्वरूप महाराजा ने इस विदेशी के खिलाफ केस चलाया। जब
इस केस की सुनवाई चल रही थी तब भीड़ ने अब्दुल कादिर को छुड़वाने का प्रयास किया,
जिसके फलस्वरूप पुलिस को गोली चलानी पड़ी। प्रो. गुप्ता ने कहा
कि इसके बाद साम्प्रदायिक दंगे हुए और राज्य के अल्पसंख्यक लोगों को निशाना बनाया गया।
ऐसे में 13 जुलाई कभी भी राष्ट्रीय दिवस नहीं हो सकता।
प्रो. गुप्ता ने इस दिन को केवल कश्मीर घाटी में मनाने पर भी
सवाल खड़े किए। प्रो. गुप्ता ने कहा कि ऐसे विवादास्पद दिनों को शहीदी दिवस के रूप में
मनाने से ही घाटी में अलगाववाद व आतंकवाद को बढ़ावा मिला है और घाटी की मौजूदा स्थिति
के लिए नेशनल कांफ्रेंस जैसी पार्टियां ही जिम्मेदार हैं।
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नेकां ने 1931 के शहीदों को श्रद्धांजलि दी
, 13 Jul 2013 जम्मू : राजशाही के खिलाफ वर्ष 1931 में हुए आंदोलन के शहीदों को नेशनल कांफ्रेंस ने शेर-ए-कश्मीर भवन में आयोजित
कार्यक्रम में श्रद्धांजलि अर्पित की। वक्ताओं ने कहा कि धारा 370 हटाने की मांग कर रही भारतीय जनता पार्टी फिर से ऐसे हालात
बना रही है कि जनता सड़कों पर उतर आए।
नेकां के संभागीय अध्यक्ष देवेंद्र सिंह राणा ने कहा कि बार-बार
धारा 370 हटाने का मुद्दा उठाना यह दर्शाता है कि
पार्टी के पास कोई मुद्दा नहीं है। जनता में आधार खो चुकी पार्टी राजनीति में बने रहने
के लिए लोगों की धार्मिक भावनाओं को आधार बना रही है। मोदी का अपने आपको हिंदू राष्ट्रवादी
बताना 2002 के दंगों में उनकी मंशा को दर्शाता है और
इसी विचारधारा के साथ वह आगामी चुनावों में उतरना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पी मुरलीधर
राव ने धारा 370 को लेकर जो कहा है, उससे साफ है कि उन्हें धारा 370 की जमीनी हकीकत की कोई जानकारी नहीं है। यही धारा जम्मू-कश्मीर को भारत से जोड़ने
में सूत्रधार रही है। इसे हटाने की बात करना दिन में सपने देखने जैसा है। भाजपा को
नहीं भूलना चाहिए कि इस धारा को संसद भी नहीं हटा सकती। शहीदों को याद करते हुए उन्होंने
कहा कि उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र की मजबूती से ही संभव
है। उस समय के हालात सुधारने और सभी धर्मो को सम्मान दिलाने में शेख मुहम्मद अब्दुल्ला
का जो योगदान है, उसके लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा। इस
मौके पर वरिष्ठ उपाध्यक्ष रतन लाल गुप्ता, संभागीय सचिव
शेख बशीर अहमद, पूर्व एमएलसी कश्मीरा सिंह, जिला अध्यक्ष रुरल तरणजीत सिंह टोनी, गुरदीप सिंह ससन व जुगल महाजन ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के अंत में
दिवंगत आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया।
इस मौके पर बिमला लुथरा, सतपाल लखोत्रा, मोहिंद्र गुप्ता, बशीर अहमद वानी, विजय लोचन, सुरेंद्र सिंह बंटी, विजय गुप्ता,
विजय गुप्ता, दिलशाद मलिक,
वीना ओबराय, पिंकी भट्ट,
धर्मवीर सिंह जम्वाल, सुभाष भगत, पंकज कोहली, अशोक सिंह, अशोक डोगरा, रशीदा बेगम, मुदसिर जरगर, जेडी सोड़ी, सुरेश कुमार शर्मा, रामेश्वर दत्त, चंद्र उदय सिंह,
सतवंत कौर डोगरा, बलविंद्र सिंह,
डॉ. सुरजीत भगत, रीता गुप्ता,
सूरज प्रकाश वर्मा व प्रदीप बाली उपस्थित थे।
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काली पट्टियां बांध कत्ल-ए-आम का विरोध
13 Jul 2013
13 जुलाई 1931 को साजिश के तहत कश्मीर में हुए सांप्रदायिक
दंगों के विरोध में शनिवार को कश्मीरी पंडितों ने धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान पंडितों
से लूटपाट व कत्ल-ए-आम के खिलाफ काली पट्टियां बांधकर विरोध किया। ज्वाइंट फोरम के
बैनर तले कश्मीरी पंडित नेताओं व विभिन्न संगठनों के प्रदर्शनकारियों ने विरोध स्वरूप
बाजुओं पर काली पट्टियां भी बांध रखी थीं। पोस्टर और बैनरों में मौजूदा सरकार द्वारा
उन लोगों की स्मृति में शहीदी दिवस मनाने पर एतराज जताया।
ज्वाइंट फोरम के बैनर तले कश्मीरी पंडित नेताओं व विभिन्न संगठनों
के कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन कर राज्य सरकार की नीयत को जम कर कोसा। ज्वाइंट फोरम
के नेता अश्विनी चरंगू ने कहा कि कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ अन्याय पंडितों
को वादी से खदेड़ने का पहला प्रयास था। वास्तव में कश्मीरी पंडित समुदाय के साथ 1931 में जो हुआ था, वह एक योजनाबद्ध
तरीके से पंडितों का संहार किया गया था। इससे वह अंजान थे।
प्रदर्शन में ऑल स्टेट कश्मीरी पंडित कांफ्रेंस के हीरा लाल
चट्टा, पनुन कश्मीर के वीरेंद्र रैणा, ऑल इंडिया कश्मीरी पंडित कांफ्रेंस के एचएन जत्तू, भाजपा के प्रमुख प्रवक्ता डॉ. जितेंद्र सिंह, विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश प्रधान डॉ. रमाकांत दुबे,
दिनेश्वर सिंह जम्वाल व अन्य मौजूद थे। प्रदर्शनकारियों को भाजपा
के अखिल भारतीय महासचिव के मुरलीधर राव ने भी संबोधित किया। वहीं, डॉ. अग्निशेखर नेतृत्व वाले पनुन कश्मीर नेताओं ने जियोपोता
घाट पर 1931 के उन पंडितों को श्रद्धांजलि दी,
जो दंगाइयों की भेंट चढ़े थे। कश्मीरी पंडित कांफ्रेंस ने दिल्ली
में भी काली पट्टियां बांधकर काले दिवस पर विरोध व्यक्त किया। कार्यकर्ताओं ने विरोध
में अपने घरों में दो घंटे तक बिजली बंद रखी
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