Saturday 11 May 2013



लौटी चीनी सेना, भारत और चीन दोनों ने की पुष्टि
Mon, 06 May 2013 नई दिल्ली। आखिरकार करीब तीन हफ्ते के तनाव का सुखद अंत हो गया। चीन ने रविवार देर शाम लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी सेक्टर से अपने सैनिक हटा लिए। इस तनाव के दूर होने के साथ ही 9 मई को भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की चीन यात्रा का रास्ता साफ हो गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा है कि भारत और चीन के बीच यथास्थित बरकरार रखने पर सहमति बन गई है। दोनों देशों के सैन्य अफसरों के बीच फ्लैग मीटिंग हुई, जो सफल रही। उधर चीन की तरफ से भी कहा गया है कि दोनों पक्ष के हितों को ध्यान में रखते हुए अच्छे माहौल में सीमा के इस तनाव को सुलझा लिया गया है।

तीन हफ्ते पहले लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी [डीबीओ] सेक्टर में घुस आई चीन की सेना को लेकर जारी तनाव समाप्त हो गया है। दोनों देशों के बीच घंटों चली उच्च स्तरीय वार्ता के बाद रविवार की शाम इस बात पर सहमति बनी कि दोनों देशों की सेनाएं उस क्षेत्र में आमने-सामने गाड़े गए तंबुओं को हटा लेंगी और एक साथ पीछे हटेंगी। इसके बाद शाम साढ़े सात बजे दोनों देशों की सेनाओं के स्थानीय कमांडरों ने सैनिकों के साथ पीछे हटने से पहले एक दूसरे से हाथ भी मिलाए।

चीन की सेना गत 15 अप्रैल को भारत की वास्तविक नियंत्रण रेखा [एलएसी] के 19 किलोमीटर अंदर तक घुस आई थी और पांच तंबू गाड़ दी थी। वहां करीब 50 सैनिकों के अलावा सेना के वाहन और कुत्ते भी थे। उल्लेखनीय है कि चीन इस घुसपैठ के बाद भारतीय सेना ने भी चीन के तंबुओं से करीब 300 मीटर दूर उसके सामने अपने तंबू गाड़ दिए थे। समझौता में तय यह हुआ कि दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटेंगी। इससे पहलें दोनों देशों की सेनाओं के बीच शनिवार को चौथी फ्लैग मीटिंग भी नाकाम हो गई थी। चुशूल में शनिवार को हुई उस बैठक का नेतृत्व ब्रिगेडियर स्तर के अधिकारियों ने किया था। वह बैठक करीब 45 मिनट तक चली थी लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला था। केवल इस बात पर सहमति बनी थी बातचीत जारी रखी जाएगी। इसके साथ इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए उच्च स्तर पर कूटनीतिक प्रयास भी जारी रहे। अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि क्या चीन की सेना पूरी तरह से वास्तविक नियंत्रण रेखा के पीछे चली जाएगी और 15 अप्रैल के पहले वाली स्थिति बहाल हो जाएगी या नहीं।

चुमार में भारत ने छोड़ा टीन का शेड
नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय] लद्दाख में चीन के साथ तीन हफ्ते चला सैन्य गतिरोध खत्म करने के लिए भारत को चुमार इलाके के अग्रिम क्षेत्र में बने अपने एक टीन शेड को हटाना पड़ा। ताजा घटनाक्रम के बाद भारत ने चीन की ओर से भेजे गए सीमा मामलों पर रक्षा सहयोग समझौते के नए प्रस्ताव पर भी सक्रियता से विचार शुरू कर दिया है। इस बीच लद्दाख के दिपसांग बल्ज क्षेत्र से अपने तंबुओं को हटाने के बाद चीनी सैनिक अपनी हद में लौट गए हैं। सूत्रों के मुताबिक मानवरहित टोही विमानों [यूएवी] से मिली तस्वीरों से पुष्टि हो गई है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय हद में दाखिल हुआ चीनी फौजी दस्ता अपने इलाके में लौट गया है। हालांकि, 15 अप्रैल से पहले की स्थिति बहाल करने पर बनी द्विपक्षीय सहमति के लिए भारत को चुमार क्षेत्र से अपना टीन से बना शेड भी हटाना पड़ा। सूत्रों के मुताबिक, इस शेड का काम 18 अप्रैल को पूरा हुआ है। यह शेड चुमार इलाके में भारतीय सेना की अंतिम चौकी से करीब 8 किमी आगे था। चीनी सैनिकों द्वारा 15 अप्रैल को दिपसांग बल्ज के राकी नाला में तंबू गाड़ने के बाद भारत ने भी अपने दस्तों को चुमार में अग्रिम मोर्चे पर बढ़ा दिया था। चुमार के झिपुगी अर्ला क्षेत्र में बने मोर्चे से चीन का एक बड़ा इलाका भारतीय निगरानी में आता है।
रक्षा मंत्री एके एंटनी ने बताया कि दोनों पक्ष 15 अप्रैल से पहले की स्थिति बहाल करने पर सहमत हुए हैं। हालांकि, रक्षा मंत्री इस सवाल को टाल गए कि क्या इसके लिए चुमार क्षेत्र से भारतीय सैन्य दस्तों के हटने या रणनीतिक अहमियत के निगरानी स्थान को छोड़ना पड़ा। दरअसल, रविवार को भारत और चीन के बीच तीन हफ्ते से चली रही मोर्चाबंदी खत्म करने के लिए भारत को कई बंकरों से समझौता करना पड़ा। सूत्रों का कहना है कि भारत ने राजदूत से लेकर सैन्य वार्ताओं तक हर स्तर पर यही बताया कि किसी भी मतभेद पर बात संभव है, लेकिन चीन को 15 अप्रैल से पहले की स्थिति में लौटना होगा। वैसे भारतीय खेमा अब भी चीन के साथ गतिरोध के कारणों पर मंथन कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक सीमा मामलों पर सहमति बनाने के लिए चीन की ओर से कुछ उतावलापन जरूर नजर आया। चीन ने दो-तीन महीने पहले सीमा पर सैन्य सहयोग संपर्क बढ़ाने के लिए एक समझौते का प्रस्ताव भेजा था। इसके बिंदुओं में दोनों सेनाओं के बीच बेहतर संवाद दोस्ताना संपर्को की बात कही गई थी। इस बारे में सरकार के भीतर विचार-विमर्श शुरू हो गया है।

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