28 दिसंबर
को
होमलैंड
दिवस
मनाएंगे
पंडित
पिछले
21 वर्षो के
विस्थापन
में
कश्मीर
में
होमलैंड
पाने
की
दिशा
में
संघर्ष
कर
रहे
कश्मीरी
पंडित
28 दिसंबर को
होमलैंड
दिवस
मनाएंगे।
इस
संबंध
में
पनुन
कश्मीर
के
तीनों
गु्रप
अपनी-अपनी
तरह
से
समारोह
का
आयोजन
करेंगे।
पंडितों ने
कश्मीर
से
कट्टरपंथियों
के
हाथों
खदेड़े
जाने
के
बाद
होमलैंड
की
मांग
को
राज्य
व
केंद्र
सरकार
के
समक्ष
रखा
था।
इसके
लिए
वर्ष
1991
में
मार्गदर्शन
प्रस्ताव
पारित
कर
पनुन
कश्मीर
ने
होमलैंड
की
मांग
को
जन्म
दिया
था।
तब
से
आज
तक
हर
वर्ष
28
दिसंबर
को
होमलैंड
दिवस
पूरी
आस्था
के
साथ
मनाया
जाता
है।
पनुन
कश्मीर
के
चेयरमैन
अश्विनी
चरंगू
होमलैंड
की
मांग
को
कश्मीरी
पंडितों
के
लिए
वादी
वापसी
का
एकमात्र
माध्यम
मानते
हुए
कहते
हैं
कि
मार्गदर्शन
प्रस्ताव
पर
समूचा
कश्मीरी
पंडित
समाज
आज
एक
ही
राय
कायम
किए
हुए
है।
कश्मीरी
पंडितों
की
वापसी
होमलैंड
के
सिवा
संभव
नहीं
है।
21
वर्ष
पहले
जम्मू
में
तीन
दिन
के
सम्मेलन
में
एक
हजार
डेलीगेट्स
की
मुहर
मार्गदर्शन
प्रस्ताव
पारित
कर
लगाई
थी,
लेकिन
अब
यह
मांग
हर
कश्मीरी
पंडित
की
मांग
बन
गई
है।
चरंगू
का
कहना
था
दो
दशकों
के
दौरान
होमलैंड
की
मांग
का
देश-विदेश
में
काफी
प्रचार
हुआ
है।
पनुन
कश्मीर
की
संकल्प
यात्राओं
व
मांग
को
पूरा
करने
के
लिए
किए
गए
धरने
प्रदर्शनों
के
चलते
अब
होमलैंड
की
मांग
कुछ
लोगों
तक
सीमित
नहीं
है।
राष्ट्रीय
व
अंतरराष्ट्रीय
स्तर
पर
देश
व
विदेश
में
रहने
वाले
कश्मीरी
पंडितों
का
होमलैंड
की
मांग
को
पूरा
समर्थन
है।
वह
दिन
दूर
नहीं
जब
पंडितों
का
कश्मीर
में
रहने
के
लिए
सुरक्षित
बसेरा
होगा।
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